
जब पूरी दुनिया T20 के पीछे दौड़ रही थी, तब एक आदमी था जो 5 दिन टिकने का माद्दा रखता था — और वो था चेतेश्वर पुजारा।
“बोल्ड मत हो जाना, मैं पुजारा हूं!” — ऐसा आत्मविश्वास सिर्फ उन्हीं का हो सकता है जो 1,258 गेंदें खाकर भी उफ्फ ना करे।
ध्यान से खेलिए, पुजारा ऑन क्रीज़ है!
2018-19 की ऑस्ट्रेलिया सीरीज़ — जब पुजारा का बल्ला नहीं, टाइमिंग और डिफेंस गूंजा। 521 रन और एक स्लो-मोशन मास्टरक्लास, जिसने क्रिकेट प्रेमियों को सिखाया कि “रन बनाने की जल्दी नहीं है, भरोसा रखो… पुजारा अभी क्रीज़ पर है!”
Stats जिन पर विराट भी सलाम ठोकें:
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टेस्ट मैच: 103
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रन: 7,195
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औसत: 43.60
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शतक: 19
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बॉल फेसींग का PhD: 15,000+ गेंदें (कम से कम!)
Retirement पोस्ट जिसने इंटरनेट को इमोशनल कर दिया
“भारतीय जर्सी पहनना और राष्ट्रगान गाना… यह शब्दों में बयां करना असंभव है।”
पुजारा का ये इमोशनल सोशल मीडिया पोस्ट उनके करियर जितना ही क्लासिक था — कोई ड्रामा नहीं, सिर्फ एहसानमंदी।
Bad Form? Or Bad Luck?
करीयर के एंड में, औसत थोड़ा नीचे गया। Critics बोले – “Strike Rate कहां है?”
Fans बोले – “दिल में है पुजारा!”
आखिरकार, सबको समझ आ गया कि हर पारी में चौके-छक्के नहीं, कभी-कभी ‘300 बॉल में 50 रन’ ही मैच जिता देते हैं।
Pujara Vs Bazball: Ek Shaant Krantikari
आज जब हर टीम ‘बाज़बॉल’ खेल रही है, तब पुजारा जैसे खिलाड़ी विलुप्त प्रजाति से लगते हैं। लेकिन उनका Impact अमिट है — धैर्य, अनुशासन और संकल्प का पैगाम छोड़ गए हैं।
The Wall 2.0: Rahul Dravid के बाद जो टिकता था, वही पुजारा था
“Rahul Dravid के बाद दीवार गिर गई” — क्रिकेट फैंस बोले थे। फिर आया पुजारा, जिसने दिखाया कि ‘दीवारें बदलती हैं, लेकिन गिरती नहीं।’
अब क्या करेंगे पुजारा?
Coach बनेंगे? Commentator? या फिर Saurashtra में रणजी का रन-मशीन बनकर बच्चों को सिखाएंगे कैसे patience से गेम जीता जाता है?
खैर, जो भी करें, हम कहेंगे – “Thanks for holding one end, while entire India was busy switching channels.”
Conclusion: पुजारा चले गए, लेकिन सिखा गए
Fast Cricket के इस ज़माने में, जब हर कोई T20 की स्पीड में जी रहा है, पुजारा ने सिखाया कि कभी-कभी धीमा चलना ही असली फॉर्म है।
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